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होलाष्टक 2024: जैसा कि हम सब जानते है कि रंगों भरा त्यौहार होली भारत का प्राचीन और मुख्य त्यौहार है। होली से आठ दिन पहले फाल्गुन मास की शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि को होलाष्टक शुरू हो कर फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि तक रहता है।

होलाष्टक 2024 कब है?

इस वर्ष 2024 को होलाष्टक 17 मार्च 2024 से शुरू होकर 24 मार्च 2024 तक रहेगा। 24 मार्च को शाम के समय होलिका दहन होगा और 25 मार्च को आपसी प्यार और सदभाव का त्यौहार होली मनाया जाएगा।

होलाष्टक में क्या न करें?

आपने होलिका दहन की कहानी अवश्य सुनी होगी कि भक्त प्रह्लाद की बुआ होलिका, जिसे यह वरदान प्राप्त था कि अगर वह अपनी चुनरी औढ़ कर अग्नि में प्रवेश करें तो अग्नि उसे जला नही सकती। 

परंतु देव कृपा से होलिका की वह चुनरी उड़कर भक्त प्रह्लाद को लिपट गई और वह अग्नि में जलने से बच गए और होलिका अग्नि में भस्म हो गई।

होलाष्टक को मृत्यु का सूचक माना जाता है और होलिका दहन से आठ दिन पूर्व दाह कर्म की तैयारी की जाती है। इस लिए इन आठ दिन अर्थात होलाष्टक में कोई भी शुभ कार्य या नया कार्य शुरू करना अच्छा नहीं माना जाता।

शास्त्रों के अनुसार होलाष्टक के दौरान शादी, बच्चे का मुंडन या नामकरण संस्कार, ग्रह प्रवेश, हवन या नया व्यापार शुरू करना आदि कार्य मना किया जाता है। 

ऐसा माना जाता है कि यदि इन नियमों का पालन नहीं किया जाता तो इन कार्यों में बाधाओं और पीड़ा का सामना करना पड़ सकता है।

होलाष्टक का प्रभाव

होलाष्टक का प्रभाव मुख्य तौर पर उत्तर भारत में ही देखने में आता है, खासकर पंजाब में। दक्षिण भारत, पूर्वी भारत या पश्चिमी भारत में होलाष्टक का कोई ज्यादा प्रभाव या मान्यता देखने में नहीं आता।

होलाष्टक और टोना टोटका

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलाष्टक के दौरान नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है और इस अवधि में तांत्रिक क्रियाओं और जादू टोना, टोना टोटका का प्रभाव बढ़ जाता है।

इसलिए सावधानी पूर्वक इस समय के दौरान कोई अजनबी व्यक्ति कुछ खाने पीने की वस्तु या प्रसाद दे तो विनम्रता पूर्वक मना कर दे। बच्चों का भी ध्यान रखें और उन्हें दूर या अंजान और सुनसान जगह पर न जाने दे।

Disclaimer- इस लेख में वर्णित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों, मान्यताओं और पंचांग से ये जानकारी एकत्रित कर के आप तक पहुंचाई गई है। उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझ कर ही ले। कृप्या ये जानकारी उपयोग में लाने से पहले अपने विश्वस्त जानकार से सलाह ले लेवें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की उपयोगकर्ता की स्वयं की ही होगी।

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Holashtak 2024 Start And End Date: होलाष्टक में क्या होता है?

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आरती लखदातार की

लखदातार जिन्हे श्याम बाबा, खाटू श्याम और शीश के दानी के नाम से भी जाना जाता है, इनके भक्तों की इन पर अपार आस्था है। जो भी भक्तजन सच्चे मन से श्याम प्रभु के दरबार में आता है, उसकी मनोकामना पूर्ण होती है।

Aarti Lakhdatar Ki: आरती खाटू श्याम बाबा की

ओम जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे।
खाटू धाम विराजत, अनुपम रूप धरे।।
ओम जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे।।

रत्न जड़ित सिंहासन, सिर पर चंवर ढुरे।
तन केसरिया बागो, कुण्डल श्रवण पड़े।।
ओम जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे।।

गल पुष्पों की माला, सिर पार मुकुट धरे।
खेवत धूप अग्नि पर, दीपक ज्योति जले।।
ओम जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे।।

मोदक खीर चूरमा, सुवरण थाल भरे।
सेवक भोग लगावत, सेवा नित्य करे।।
ओम जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे।। 

झांझ कटोरा और घड़ियावाल, शंख मृदंग धुरे।
भक्त आरती गावे, जय जयकार करे।।
ओम जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे।।

जो ध्यावे फल पावे, सब सुख से उबरे।
सेवक जन निज मुख से, श्री श्याम श्याम उचरे।।
ओम जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे।।

श्री श्याम बिहारी जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत भक्तजन, मनवांछित फल पावे।।
ओम जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे।।

जय श्री श्याम हरे, बाबा जी श्री श्याम हरे।
निज भक्तों के तुमने, पूरण काज करे।।
ओम जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे।।

ओम जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे।।
खाटू धाम विराजत, अनुपम रूप धरे।
ओम जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे।।

बोल खाटू नरेश की जय, बोल शीश के दानी की जय




Aarti Lakhdatar Ki: आरती खाटू श्याम बाबा की

आरती लखदातार की लखदातार जिन्हे श्याम बाबा, खाटू श्याम और शीश के दानी के नाम से भी जाना जाता है, इनके भक्तों की इन पर अपार आस्था है। जो भी भक...

चौथ माता की कहानी (Chauth Mata Ki Kahani) हर महीने की चौथ के व्रत के समय पूरी श्रद्धा और विश्वास से कही व सुनी जाती है। इसके बाद भगवान श्री गणेश जी की कहानी सुनी जाती है।

Chauth Mata Ki Kahani: चौथ माता की आरती

चौथ माता की कहानी 

एक नगर में एक बूढ़ी मां अपने बेटे के साथ रहती थी। वह अपने बेटे की सलामती के लिए बहुत ही श्रद्धा और विश्वास से बारह महीने की चौथ के व्रत किया करती थी। 

हर महीने चौथ व्रत के दिन वह पंसारी से थोड़ा सा गुड़ और देसी घी लाकर उसके चार लड्डू बनाती। एक लड्डू से वह चौथ माता की पूजा करती, एक हथकार के लिए निकालती, एक लड्डू अपने बेटे को खाने के लिए देती और एक लड्डू चांद उगने पर खुद खा लेती थी।

एक बार उसका बेटा अपनी ताई से मिलने के लिए गया। ताई ने उस दिन बैसाख चौथ का व्रत रखा हुआ था। वह लड़का अपनी ताई से बोला कि मेरी मां तो बारह महीने चौथ के व्रत रखती है।

ताई बोली कि तेरी मां तेरी कमाई से तर माल खाने के लिए बारह चौथ रखती है। तू परदेश चला जाए तो वह बारह चौथ तो क्या, एक भी चौथ नहीं करेगी। लड़के को लगा कि ताई सच कह रही है। 

घर वापिस आकर लड़के ने अपनी मां से कहा कि मैं परदेश जा रहा हूं, यहां तो तू मेरी कमाई खाने पीने में ही उड़ा देती है। मां ने अपने लड़के को बहुत समझाया परंतु वह नहीं माना और परदेश जाने की जिद पर अड़ा रहा।

थक हार कर मां ने उसे परदेश जाने की इजाजत दी। मां ने बेटे को अपने साथ ले जाने के लिए चौथ माता के आखे दिए और कहा कि मुसीबत में ये आखे तेरी मदद करेंगें। लड़का आखे लेकर परदेश रवाना हो गया।

घूमते हुए वह एक नगर में पहुंचा। उसने देखा कि एक बूढ़ी मां पुए बना रही थी और रोते जा रही थी। उसने इसका कारण पूछा तो बूढ़ी मां ने बताया कि बेटा, इस नगर की पहाड़ी पर एक दैत्य रहता है। पहले वह नगर में आकर अपने खाने के लिए कई लोगों को मार देता था।

अब राजा बारी से एक आदमी रोज उस दैत्य के पास उसके खाने के लिए भेजता है। आज मेरे बेटे की उस दैत्य के पास जाने और उसका भोजन बनने की बारी है। इसलिए मैं रो रही हूं और अपने बेटे के लिए पुए बना रही हूं।

वह लड़का बूढ़ी मां से बोला कि तू ये पुए मुझे खिला दे, तेरे बेटे की जगह मैं उस दैत्य के पास चला जाता हूं। बूढ़ी मां ने खीर पुए उसे खिला दिए। खीर पुए खाकर वह लड़का सो गया।  

रात को राजा के सैनिक आए तो बूढ़ी मां ने सैनिकों के साथ उस लड़के को भेज दिया। दैत्य के सामने पहुंचने पर उसने चौथ माता के आखे दैत्य की तरफ फेंक दिए।

और कहा कि है चौथ माता, यदि मेरी मां मेरी सलामती के लिए आपका व्रत रखती है तो इस दैत्य का सिर कटकर गिर जाए।तुरंत ही उस दैत्य का सिर कटकर जमीन पर गिर गया। 

लड़का सुरक्षित नगर में वापिस आ गया। राजा ने खुश होकर बहुत से उपहार देकर सम्मान सहित उसे विदा किया।

लड़का घूमते हुए एक दूसरे राजा के नगर में पहुंचा। इस राज्य में आवा तभी पकता था जब किसी इंसान की बलि दी जाती थी। राजा के सैनिकों ने उस लड़के को पकड़ लिया और आवे में चुन दिया। 

लड़के ने आखे आवे में डाले और कहा कि है चौथ माता, यदि मेरी मां मेरी सलामती के लिए आपका व्रत रखती है तो ये आवा मेरी बलि लिए बिना ही तुरंत पक जाए।

आवा तुरंत पक गया। आवे में से मिट्टी के बर्तनों की जगह सोने और चांदी के बर्तन निकले। अंदर से लड़का बोला कि बर्तन धीरे धीरे निकालना, मुझे लग ना जाए।

राजा ने उसे आवे से बाहर निकलवाया और पूछा कि तुम आवे से कैसे बच गए? लड़के ने राजा को बताया कि मेरी मां मेरी सलामती के लिए चौथ माता का व्रत रखती है। 

चौथ माता के व्रत के प्रताप से ही वह आवे में भस्म होने से बच गया। राजा को उस लड़के की बात पर विश्वास नहीं हुआ।

राजा ने एक चांदी की सुराही मंगवाई और कहा कि तुम इस सुराही की नली से निकल कर दिखाओ, तभी मुझे तुम्हारी बातों पर यकीन होगा। 

लड़के ने चौथ माता को याद करके आखे सुराही में डाले और कहा कि मैं भंवरा बन सुराही से निकलू। तुरंत ही लड़का भंवरा बन कर सुराही की नली से बाहर निकल आया। 

राजा ने खुश होकर अपनी राजकुमारी का विवाह उस लड़के के साथ करवाया और राज्य के सभी लोगों को चौथ माता का व्रत करने को कहा।

कुछ समय के बाद उस लड़के को अपनी बूढ़ी मां की याद आई। उसने राजा के पास जाकर अपने नगर जाने की इच्छा जाहिर की।

राजा ने हाथी, घोड़ा, रथ और बहुत सारा दान दहेज देकर अपनी बेटी और दामाद को उसके नगर जाने के लिए विदा किया।

चौथ के दिन वह अपने नगर पहुंचा। उसने सोचा कि आज चौथ है, तो मां आज पंसारी से घी और गुड़ लेने जरूर आएगी।

वह अकेला पंसारी के यहां अपनी मां का इंतजार करने लगा। थोड़ी देर बाद लकड़ी टेकती हुई उसे उसकी बूढ़ी मां आती हुई दिखाई दी।

उसकी मां की आंखों में जाला आने के कारण उसे कुछ कम दिखाई देने लगा था। लड़के ने जानबूझकर अपना पैर अपनी मां की लकड़ी को लगा दिया और बोला बल रे पूत काटी मेरे पैर को लगा दी। 

मां ने उसे नहीं पहचाना। वह बोली भैया, मुझे चाहे कितनी ही गाली निकाल लो परंतु मेरे बेटे को कुछ मत कहना।

बेटा अपनी मां के चरणों में गिर पड़ा और मां से बोला कि मां, मैं ही तेरा बेटा हूं। मुझे माफ कर दो। मां ने उसे गले से लगा लिया।

नगर के लोगों को यह विश्वास ही नहीं हुआ कि वह उस बूढ़ी मां का बेटा है। बूढ़ी मां ने चौथ माता को याद करके कहा कि हे चौथ माता, यदि मैं अपने बेटे के लिए आपका व्रत रखती हूं तो मेरे स्तन में दूध भर जाए और उस दूध की धार मेरे बेटे के मुंह में गिरे।

तुरंत ही बूढ़ी मां के स्तन से दूध की धार निकली और बेटे के मुंह में गिरने लगी। सभी लोग चौथ माता की जय जयकार करने लगे। इसके बाद उस नगर के सभी लोग चौथ माता का व्रत करने लगे।

हे चौथ माता, जैसे आपने बूढ़ी मां और उसके बेटे की सहायता की, वैसे ही हमारी भी सहायता करना। इस कहानी को कहने, सुनने और हुंकारा भरने वालों पर अपनी कृपा करना।

बोलो चौथ माता की जय !!! 

चौथ माता की आरती (Chauth Mata Ki Aarti) 

चौथ माता की आरती मुख्यत: करवा चौथ के पवित्र और पावन दिन पर की जाती है, लेकिन इसके अतिरिक्त प्रत्येक चतुर्थी तिथि को भी चौथ माता की आरती गाने और सुनने का विधान है।

चौथ माता की आरती को श्रद्धापूर्वक गाने से चौथ माता सभी प्रकार के कष्टों और विघ्नों और बाधाओं को दूर करती है। जो भी सुहागिन महिलाएं चौथ माता की आरती गाती या सुनती है, उनका दांपत्य जीवन सुखमय बना रहता है। परिवार में सभी प्रकार की खुशियों और धन संपति का स्थाई निवास रहता है और बच्चो को दीर्घायु प्राप्त होती है। 

ओम जय श्री चौथ माता, बोलो जय श्री चौथ माता 

सच्चे मन से सुमिरे, सब दुःख दूर भया 

ओम जय श्री चौथ माता 

ऊंचे पर्वत मंदिर, शोभा अति भारी

देखत रूप मनोहर, असुरन भयकारी

ओम जय श्री चौथ माता

महासिंगार सुहावन, ऊपर छत्र फिरे

सिंह की सवारी सोहे, कर में खड्ग धरे

ओम जय श्री चौथ माता

बाजत नौबत द्वारे, अरु मृदंग डैरू

चौसंठ जोगन नाचत, नृत्य करे भैरू

ओम जय श्री चौथ माता

बड़े बड़े बलशाली, तेरा ध्यान धरे

ऋषि मुनि नर देवा, चरणों आन पड़े

ओम जय श्री चौथ माता

चौथ माता की आरती, जो कोई सुहागिन गावे 

बढ़त सुहाग की लाली, सुख संपति पावे

ओम जय श्री चौथ माता 

Disclaimer- इस लेख में वर्णित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों, मान्यताओं और पंचांग से ये जानकारी एकत्रित कर के आप तक पहुंचाई गई है। उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझ कर ही ले। कृप्या ये जानकारी उपयोग में लाने से पहले अपने विश्वस्त जानकार से सलाह ले लेवें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की उपयोगकर्ता की स्वयं की ही होगी।

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Santoshi Mata Ki Aarti: मैं तो आरती उतारू  संतोषी माता की 

Santoshi Mata Ki Aarti: मैं तो आरती उतारू रे संतोषी माता की

जय संतोषी माता जय संतोषी माता
अपने सेवक जन को सुख संपति दाता 
जय संतोषी माता 
सुंदर चीर सुनहरी मां धारण कीन्हों
हीरा पन्ना दमके तन सिंगार लीन्हों
जय संतोषी माता 
गेरू लाल छटा छवि बदन कमल सोहै 
मंद हंसत करुणामयी त्रिभुवन मोहै 
जय संतोषी माता
स्वर्ण सिंहासन बैठी चंवर ढुरे प्यारे 
धूप, दीप, नैवेद्य, मधुमेवा भोग धरे न्यारे
ओम जय संतोषी माता
गुड और चना परमप्रिय तामें संतोष कियो
संतोषी कहलाई भक्तन विभव दियो
जय संतोषी माता 
शुक्रवार प्रिय मानत आज दिवस सोही
भक्त मंडली आई कथा सुनत वोही
जय संतोषी माता
मंदिर जगमग ज्योति मंगल ध्वनि छाई 
विनय करें हम बालक चर्नन सिर नाई
जय संतोषी माता 
भक्ति भावमय पूजा अंगीकृत कीजै
जो मन बसे हमारे इच्छा फल दीजै
जय संतोषी माता
दुःखी, दरिद्री, रोगी संकट मुक्त किये
बहु धन धान्य भरे घर सुख सौभाग्य दिये
जय संतोषी माता 
ध्यान धरो जो नर तेरो, मनवांछित फल पायो
पूजा कथा श्रवण कर, घर आनंद आयो
जय संतोषी माता
शरण गहे की लज्जा रखियो जगदम्बे
संकट तू ही निवारे, दयामही मां अम्बे
जय संतोषी माता 
संतोषी मां की आरती जो कोई नर गावे
रिद्धि सिद्धि सुख संपति, जी भरके पावे
जय संतोषी माता 
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ज्योतिष शास्त्र और ग्रहों की चाल के अनुसार 10 दिसंबर 2023 से 16 दिसंबर 2023 का साप्ताहिक राशिफल मेष से मीन राशि का कैसा रहने वाला है, आइए जानते है। 

इस साप्ताहिक राशिफल की गणना ग्रह नक्षत्रों की चाल और चंद्र राशि के हिसाब से किया गया है। जन्म के समय आपकी कुंडली में चंद्र ग्रह जिस स्थान पर विराजमान है, उसे चंद्र राशि कहा जाता है। 

Weekly Horoscope 10 to 16 December 2023


मेष राशि - Mesh Rashi Ka Rashifal 

इस सप्ताह आपको भाग्य का भरपूर साथ मिलेगा। आपके काफी समय से रुके हुए कार्य गति पकड़ेंगे। नौकरी पेशा लोगों खासकर बैंकिंग या वित्तीय संस्थानों के कर्मचारियों को प्रमोशन या वित्तीय लाभ की संभावना है।

सरकार से प्रोत्साहन या वित्तीय लाभ की संभावना है। अपना व्यवसाय करने वाले मेष राशि के लोगों को व्यवसाय बढ़ाने के अवसर प्राप्त होंगे और वित्तीय लाभ की संभावना हैं।

वृष राशि - Vrish Rashi Ka Rashifal 

इस सप्ताह आपके व्यक्तित्व में निखार आएगा। कोशिश करने से आपको वित्तीय मामलों में सफलता मिल सकती है। व्यवसाय वृद्धि के लिए अगर आप ऋण लेना चाह रहे है तो उसमें आपको सफलता मिलने के आसार है। लंबी दूरी की यात्रा हो सकती है। 

मिथुन राशि - Mithun Rashi Ka Rashifal 

इस सप्ताह आपकी किसी प्रियजन से मुलाकात हो सकती है। आपके जीवन में प्रेम संबंधों की दस्तक सुनाई पड़ रही है। पारिवारिक रिश्तों में कटुता से बचें और कड़वी वाणी का प्रयोग करने में संयम बरतें। 

कर्क राशि - Kark Rashi Ka Rashifal

जीवन साथी के साथ किसी बात को लेकर अनबन न हो, इस बात का ध्यान रखें। व्यापार के क्षेत्र में आपको मनवांछित सफलता और विस्तार के अवसर मिलेंगे। महत्वपूर्ण और प्रभावशाली लोगों से संबंध स्थापित होगा। 

सिंह राशि - Singh Rashi Ka Rashifal

इस सप्ताह आप कुछ प्रभावशाली लोगों से मुलाकात कर सकते है। ये मुलाकात आपके लिए लाभदायक स्थिति और अवसर ला सकती है। प्रेम संबंधों में सफलता प्राप्त होगी। आपको कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी। अगर आप बैंकिंग या किसी वित्तीय संस्थान से जुड़े है तो पदोन्नति या सरकार से वित्तीय लाभ की प्रबल संभावना है

कन्या राशि - Kanya Rashi Ka Rashifal

इस सप्ताह आप खुशी और प्रसन्नता का अनुभव करेंगे। जीवन में आगे बढ़ने के कई अवसर आपको प्राप्त होंगे। बेरोजगारों को रोजगार प्राप्ति हो सकती है। पारिवारिक जीवन और वैवाहिक जीवन में खुशियों की प्राप्ति होगी। 

तुला राशि - Tula Rashi Ka Rashifal

इस सप्ताह आपको अधिक परिश्रम करना पड़ सकता है। कार्यों में अनावश्यक व्यवधान आ सके है। कठिन परिश्रम से ही सफलता प्राप्ति के योग दिखाई दे रहे है। मानसिक तनाव की वजह से अपनी वाणी पर नियंत्रण रखें और विवाद से दूर रहें।

वृश्चिक राशि - Vrishchik Rashi Ka Rashifal

इस सप्ताह आप परिवार के साथ किसी नजदीक या दूर की यात्रा पर जा सकते है। आपके कार्यक्षेत्र में आपको अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का सुअवसर मिल सकता है। घर परिवार से जुड़ी किसी विलासिता की वस्तु की खरीद की भी संभावना है।

धनु राशि - Dhanu Rashi Ka Rashifal 

इस सप्ताह आपको अत्यधिक श्रम या पारिवारिक तनाव से बच कर रहना है। शांत और पॉजिटिव सोच से रहें। अगर आपका पैसा कहीं फंसा हुआ है तो इस सप्ताह आपको वह मिल सकता है। परिवार के साथ शांति से रहें और अपनी वाणी पर नियंत्रण रखें।

मकर राशि - Makar Rashi Ka Rashifal

इस सप्ताह धन संबंधी मामले आपको परेशान कर सकते है। अगर कहीं खासकर शेयर बाज़ार में निवेश कर रहें है तो सोच विचार कर के करें। पुराना अटका हुआ धन या पैतृक संपत्ति संबंधी मामलों में सफलता मिल सकती है। पारिवारिक वातावरण सामान्य रहेगा। 

कुंभ राशि - Kumbh Rashi Ka Rashifal

इस सप्ताह श्रम की अधिकता के योग है। छात्रों को कठिन परिश्रम की आवश्कता है। अनावश्यक चिंतित हो सकते है। वित्तीय मामलों में हाथ बंधे हुए प्रतीत हो सकते है। कठिन परिश्रम से कार्यसिद्धि प्राप्त हो सकती है।

मीन राशि - Meen Rashi Ka Rashifal

इस सप्ताह आपको अपनी प्रतिभा दिखाने प्रशंसा के पात्र बनने का सौभाग्य प्राप्त होगा। बैंकिंग या वित्तीय संस्थानों के नौकरीपेशा लोगों को वित्तीय लाभ और व्यवसाय करने वाले लोगों को व्यवसाय से धन लाभ के योग है।

Disclaimer - इस लेख में वर्णित किसी भी जानकारी/ सामग्री/ गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों, मान्यताओं और पंचांग से ये जानकारी एकत्रित कर के आप तक पहुंचाई गई है। उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझ कर ही ले। कृप्या ये जानकारी उपयोग में लाने से पहले अपने विश्वस्त जानकार से सलाह ले लेवें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की उपयोगकर्ता की स्वयं की ही होगी। 

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ज्योतिष शास्त्र और ग्रहों की चाल के अनुसार 10 दिसंबर 2023 से 16 दिसंबर 2023 का साप्ताहिक राशिफल मेष से मीन राशि का कैसा रहने वाला है, आइए ...

 

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