बसंत पंचमी 2026: पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व

हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर वर्ष माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी का त्योहार पूरे भारतवर्ष में श्रद्धा और उत्साह से मनाया जाता है। इस दिन ज्ञान और विद्या की देवी माता सरस्वती की पूजा की जाती है।

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बसंत पंचमी 2026 की तारीख और शुभ मुहूर्त

बसंत ऋतु भारत की छह ऋतुओं में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। भारत में बसंत ऋतु का समय फरवरी से मार्च तक माना जाता है। इस दौरान मौसम सुहावना होता है — न तो अधिक ठंड, न ही अधिक गर्मी। पेड़ों पर नई कोंपले आने लगती हैं और कोयल की मधुर ध्वनि सुनाई देती है।

खेतों में सरसों की फसल लहलहाती नजर आती है। सरसों के पीले फूल मनमोहक दृश्य उत्पन्न करते हैं। बसंत पंचमी को भारत में सरस्वती पूजा, बसंत महोत्सव, रति काम महोत्सव और बागीश्वरी जयंती के नाम से भी जाना जाता है।

इस वर्ष बसंत पंचमी 23 जनवरी 2026 शुक्रवार को मनाई जाएगी।
पंचमी तिथि प्रारंभ: 23 जनवरी 2026 सुबह 02:28 बजे से
पंचमी तिथि समाप्त: 24 जनवरी 2024 सुबह 01:46 बजे तक
शुभ मुहूर्त: 23 जनवरी सुबह 07:15 से दोपहर 12:50 (5 घंटे 35 मिनट)

सरस्वती पूजा (बसंत पंचमी) व्रत कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी ने धरती का निरीक्षण किया और सब कुछ नीरस पाया। उन्होंने अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे चार भुजाओं वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुई — जिनके हाथ में वीणा, माला, पुस्तक और वरदान मुद्रा थी। उन्हें सरस्वती नाम दिया गया।

सरस्वती माता ने वीणा बजाई, जिससे धरती पर संगीत, वाणी और ध्वनि का संचार हुआ। तभी से विद्या और संगीत की देवी सरस्वती की पूजा होने लगी।

एक कथा के अनुसार देवी सरस्वती भगवान श्रीकृष्ण से मोहित हो गई थीं। श्रीकृष्ण ने उनके प्रेम को स्वीकार तो नहीं किया, परंतु वरदान दिया कि माघ शुक्ल पंचमी को संपूर्ण विश्व विद्या की देवी के रूप में उनकी पूजा करेगा। इस दिन से बसंत पंचमी पर्व आरंभ हुआ।

बसंत पंचमी पर माता सरस्वती की पूजा विधि

पूजा स्थान को साफ करें और माता सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करें। कलश स्थापित कर भगवान गणेश का स्मरण करें। माता को स्नान, वस्त्र, आभूषण और पीले फूल अर्पित करें। फलों, बूंदी और खीर का भोग लगाएं। पुस्तकें और वाद्ययंत्रों की पूजा अवश्य करें।

बसंत पंचमी पर क्या खाएं?

इस दिन पीले या केसरी मीठे चावल बनाना शुभ माना जाता है। चावल में केसर, पीला फूड कलर, काजू, बादाम, किशमिश मिलाकर प्रसाद तैयार करें।

बसंत पंचमी के वस्त्र

पुरुष पीली शर्ट या स्वेटर पहन सकते हैं। महिलाएं पीली साड़ी या सलवार-कमीज़ धारण करें। पीला रंग इस दिन विशेष शुभ माना गया है।

पीले रंग का महत्व

ज्योतिष के अनुसार पीला रंग देवगुरु बृहस्पति का प्रिय रंग है। यह आत्मविश्वास बढ़ाता है और मानसिक सक्रियता में वृद्धि करता है। पीला रंग पहनने से बृहस्पति का शुभ प्रभाव प्राप्त होता है।

बसंत पंचमी और शुभ कार्य

इस दिन विवाह, सगाई, गृह प्रवेश जैसे कार्य अत्यंत शुभ माने जाते हैं। कई राज्यों में खासकर गुजरात में पतंगबाजी का आयोजन होता है। बच्चों का अन्नप्राशन संस्कार भी इस दिन किया जा सकता है।

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बसंत पंचमी को क्या न करें

स्नान के बाद पूजा किए बिना कुछ भी न खाएं। मांस-मदिरा त्यागें। वाणी से किसी को दुख न दें। इस दिन पेड़-पौधों की छठाई भी न करें।

Disclaimer: इस लेख की जानकारी पंचांग, परंपराओं और मान्यताओं पर आधारित है। इसे केवल सूचना के रूप में लें और किसी भी उपयोग से पूर्व योग्य जानकार से सलाह अवश्य लें।


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