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Makar Sankranti Festival: मकर संक्रांति कैसे मनाई जाती है?

मकर संक्रान्ति हिंदू कैलेंडर के हिसाब से माघ मास के प्रथम दिन मनाई जाती है। इस दिन सूर्य देवता धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते है जिसे मकर संक्रान्ति के रूप में संपूर्ण भारतवर्ष में मनाया जाता है। 

यह त्योहार आमतौर पर हर वर्ष जनवरी मास की 14 तारीख को मनाया जाता है यानी लोहड़ी पर्व से अगले दिन। कभी कभी ज्योतिषीय गणना के आधार पर 13 तारीख को लोहड़ी के साथ या कभी कभी 15 तारीख को भी इस दिन का निर्धारण किया जाता है।

Makar Sankranti Festival: मकर संक्रांति कैसे मनाई जाती है?

मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त (Makar Sankranti Ka Shubh Muhurat)

हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश 15 जनवरी 2024 सोमवार को सुबह  02:54 am पर होने जा रहा है। उदया तिथि 15 जनवरी को प्राप्त हो रही है इसलिए इस वर्ष मकर संक्रांति 15 जनवरी 2024 को मनाई जाएगी। 

मकर संक्रांति पुण्यकाल मुहूर्त- 15 जनवरी 2024 सुबह 07:15 से शाम 05:46 तक

मकर संक्रांति महा पुण्य काल मुहूर्त- 15 जनवरी सुबह 07:15 से सुबह 09:00 तक

पंजाब, हरियाणा में इसे संक्रांति या संगराद और उत्तर भारत में मकर संक्रान्ति को संक्रांति या उतरायण के नाम से जाना जाता है, उत्तराखंड में उतरायणी तो गुजरात में उतरायण के नाम से जाना जाता है जबकि दक्षिण भारत खासकर केरल में इसे पोंगल के नाम से मनाया जाता है।

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मकर संक्रांति का शास्त्रोक्त महत्व  

मकर संक्रांति को हिंदू धर्म और शास्त्रों में अत्यधिक महत्व प्राप्त है। सूर्य देवता के इस दिन धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करने से सूर्य देवता दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाते हैं और उतरायण को देवताओं का दिन माना जाता है जबकि दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि माना जाता है। 

उतरायण में जनवरी मास से जून मास तक का समय अर्थात उतरायण अवधि में शुभ कार्यों के लिए मुहूर्त अधिक होते है। 

मकर संक्रांति को स्नान का महत्व

मकर संक्रांति को हरिद्वार,काशी, गढ़ गंगा और नर्मदा आदि धार्मिक महत्व की नदियों में स्नान करना अति शुभ माना गया है। इस दिन पवित्र और धार्मिक महत्व की नदियों में स्नान करने से पाप कर्मों का नाश होता है। 

मकर संक्रांति पर सूर्य पूजा का महत्व

मकर संक्रांति पर्व पर सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व हैं। प्रात: काल को आप स्नान करके सूर्य देव को जल में लाल फूल या लाल चंदन डालकर उगते सूरज को जल अर्पित करें तथा साथ ही सूर्य मंत्र ॐ सूर्याय नम: या ॐ आदित्याय नम: मंत्र का उच्चारण करें जो की बहुत ही लाभकारी रहेगा।

 ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार सूर्य देवता का संबंध सरकारी नौकरी, शासन सत्ता से किसी भी रूप में लाभ की प्राप्ति और जीवन में मान सम्मान की प्राप्ति से सीधा संबंध है।  

अगर आप सरकारी नौकरी, शासन से लाभ और जीवन में मान सम्मान पाना चाहते हैं तो आपकी जन्म कुंडली में सूर्य देव की स्थिति अच्छी होनी चाहिए। 

अगर जन्म कुंडली में सूर्य देव की स्थिति अच्छी नहीं है तो राज भय और जीवन में मान सम्मान की कमी रहेगी। मकर संक्रांति को विशेषकर सूर्य देव की उपासना से आपको अवश्य ही शुभ फल की प्राप्ति होगी। 

मकर संक्रांति पर दान का महत्त्व 

सूर्य देव को जल अर्पित करने के बाद थोड़े से तिल या रेवड़ी, मक्के के फुले या पॉपकॉर्न, मूंगफली मकर संक्रांति पर अपने आसपास सुबह जलाई जाने वाली अग्नि में आहुति दे या अपने घर पर ही अंगीठी या गैस में आहुति दे।

मकर संक्रांति पर क्या खाएं? 

इस दिन काले उड़द की दाल और चावल की खिचड़ी बनाकर खाई जाती है। इस दिन तिल, रेवड़ी, तिल के लड्डू और गज्जक और गुड़ का सेवन कर सकते है। 

इस दिन तिल का सेवन सबसे महत्त्वपूर्ण है क्योंकि आर्युवेद के अनुसार तिल का सेवन इस समय भारी ठंड से आपके शरीर को बचाता हैं। 

बिहार और उतर प्रदेश में लोग मकर संक्रांति को खिचड़ी पर्व के नाम से भी मनाते है और चावल और काले उड़द की दाल की खिचड़ी बनाई जाती है।  

हरियाणा और पंजाब में इस दिन खिचड़ी, रेवड़ी, तिल की गज्जक और लड्डू, पॉपकॉर्न और मक्के की रोटी और सरसो का साग खाया जाता हैं। 

दक्षिण भारत खासकर केरल में मकर संक्रांति को पोंगल के रूप मैं मनाया जाता हैं और गुड़, चावल और दाल से पोंगल बनाया जाता है और विभिन्न प्रकार की कच्ची सब्जियों को मिलाकर सब्जी बनाई जाती हैं। 

सर्वप्रथम ये सब थोड़ा थोड़ा भगवान सूर्य को अर्पित किया जाता है। उस के बाद बाकी को परिवार द्वारा इसे भगवान सूर्य के प्रसाद रूप में ग्रहण किया जाता है। इस दिन गन्ना खाने की भी परंपरा है।

मकर संक्रांति पर तिल का महत्व

तिल का हिंदू रीति रिवाजों में विशेष महत्व है। लगभग सभी धार्मिक कार्यों और अनुष्ठानों में सफेद और काले तिल के प्रयोग की परंपरा हैं। 

शास्त्रों के अनुसार माघ मास में जो भी व्यक्ति प्रतिदिन तिल से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करता हैं,  उसके सभी पाप कर्मों का नाश हो जाता हैं। 

तिल का ज्योतिषीय संबंध यह है कि इस दिन सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते है जो की सूर्यपुत्र शनिदेव की राशि है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार शनिदेव सूर्यपुत्र होते हुए भी सूर्य देव से शत्रु भाव रखते है। 

अत: शनि देव के घर में सूर्य देव की उपस्थिति के दौरान शनि देव उन्हे कष्ट न दे इस लिए इस दिन काले तिल का दान भी किया जाता है। आपने अक्सर देखा होगा की शनिवार या शनिदेव की पूजा में काले तिल सबसे प्रमुख स्थान रखते है।



मकर संक्रांति पर पतंगबाजी 

मकर संक्रांति पर लगभग सभी जगहों पर पतंगे उड़ाई जाती है और बच्चे और बड़े इसे बड़े चाव से उड़ाते है। खासकर गुजरात में तो जगह जगह पतंगबाजी उत्सवों का आयोजन किया जाता हैं।

Disclaimer- इस लेख में वर्णित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों, मान्यताओं और पंचांग से ये जानकारी एकत्रित कर के आप तक पहुंचाई गई है। उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझ कर ही ले। कृप्या ये जानकारी उपयोग में लाने से पहले अपने विश्वस्त जानकार से सलाह ले लेवें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की उपयोगकर्ता की स्वयं की ही होगी।

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